मै
जब तुम में
खो जाता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
जब बात हद से
गुजर जाती है
मेरे दिल कि गहराइयो में
उतर आती है
तो मौन हो जाता हूँ
जब देखती हो
तुम मेरी आँखों में
मै सपनो में
खो जाता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
जब यूँ ही
बे बात मुस्का
जाती हो तुम
मै सचमुच
खिल जाता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
जब बिखेर देती हो तुम
अपना सारा प्यार मुझ पर
मै उसे सारा
समेट नहीं पता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
जब तुम्हे छूने कि ललक
दौड़ जाती है ह्रदय में
खुद को रोक
नहीं पता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
जब चाहता हूँ तुमसे
बहुत बात करना
पास तेरे आता हूँ
कुछ कह नहीं
मगर पता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
चाहता हूँ तुम्हे
यूँ ही देखता रहू खामोश
तुम्हे देखने कि चाहत में
मै सब कुछ
भूल जाता हूँ
तो मौन हो जाता हूँ
anu...really gud one i love this poem
ReplyDeletegreat felling expressed by u..superb